लेखनी प्रतियोगिता -05-Jan-2022 जुदाई
समंदर में लहरें ,
जिंदगी पर लगे पहरे |
डूबने की कगार पर है ,
जैसे सपने सुनहरे |
खुद से वादा है मेरा ,
ना करेंगे अब मिन्नतें बार-बार |
किस्मत में जुदाई ही सही ,
डूब कर भी उभर जाएंगे |
यह दरिया पार कर जाएंगे,
चाहे लोग हमें रोके - टोके ,
चाहे कितना भी दंभ झेलें |
ना रहेंगे अब हम रोते हुए ,
आंसुओं को पीते हुए |
प्यार नहीं तो क्या हुआ ,
जीने की चाहा ही बहुत |
आखिर क्यों हम जी सब सहेऺ?
उभर आएंगे हम डूबने से पहले |
प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)
Punam verma
06-Jan-2022 11:14 PM
Nice
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Shrishti pandey
06-Jan-2022 09:21 AM
Nice
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Abhinav ji
06-Jan-2022 12:02 AM
Nice
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